
प्रश्न
यह कहा जाता है की भगवान सर्वज्ञ हैं। क्या इसका तात्पर्य यह है कि हम भविष्य में जो भी कर्म करेंगे वे भगवान को ज्ञात हैं ? भगवान को ज्ञात है तो क्या भगवान हमसे सब कर्म करवाता है? यदि कर्म करवाता है तब यह क्यों कहा जाता है कि हम अपने कर्म करने के लिए स्वतंत्र हैं? और यदि हम कर्म करने के लिए स्वतंत्र हैं तो भगवान यह कैसे जान सकते हैं कि हम अगले क्षण क्या करने जा रहे हैं?
उत्तर
हाँ भगवान सर्वज्ञ हैं अतएव प्रत्येक जीव के भूत, वर्तमान को पूर्णतः जानते हैं। साथ ही प्रत्येक जीव का पूर्व निर्धारित भविष्य भी जानते हैं । पूर्व-निर्धारित भविष्य को भाग्य / प्रारब्ध कहते हैं जो की भविष्य में होने वाली कुछ घटनाओं का द्योतक है।
हितोपदेश के अनुसार -
यह कहा जाता है की भगवान सर्वज्ञ हैं। क्या इसका तात्पर्य यह है कि हम भविष्य में जो भी कर्म करेंगे वे भगवान को ज्ञात हैं ? भगवान को ज्ञात है तो क्या भगवान हमसे सब कर्म करवाता है? यदि कर्म करवाता है तब यह क्यों कहा जाता है कि हम अपने कर्म करने के लिए स्वतंत्र हैं? और यदि हम कर्म करने के लिए स्वतंत्र हैं तो भगवान यह कैसे जान सकते हैं कि हम अगले क्षण क्या करने जा रहे हैं?
उत्तर
हाँ भगवान सर्वज्ञ हैं अतएव प्रत्येक जीव के भूत, वर्तमान को पूर्णतः जानते हैं। साथ ही प्रत्येक जीव का पूर्व निर्धारित भविष्य भी जानते हैं । पूर्व-निर्धारित भविष्य को भाग्य / प्रारब्ध कहते हैं जो की भविष्य में होने वाली कुछ घटनाओं का द्योतक है।
हितोपदेश के अनुसार -
आयुः कर्म च वित्तं च विद्या निधनमेव च । पंचैत्यान्यपि सृज्यन्ते गर्भस्थस्यैव देहिनः ॥
हितोपदेश

“पांच चीजें हमारे प्रारब्ध में सुनिश्चित होती हैं आयु, व्यवसाय, धन, शिक्षा एवं मृत्यु।”
पूरा जीवन पूर्व-निर्धारित नहीं होता है; भगवान ने जीव को कर्म करने की छूट दी हुई है अतः भगवान जीव के द्वारा प्रतिपादित की जाने वाली क्रियाओं में हस्तक्षेप नहीं करते। इस विषय को अधिक स्पष्ट करने के लिए हमें मंथन करना होगा।
जीव का मन केवल सुषुप्ति अवस्था में तथा अचेतावस्था में निष्क्रिय होता है। शेष प्रत्येक क्षण मन कर्म करता है। भगवान हमारे हृदय में सदैव रहकर हमारे प्रत्येक कर्म को नोट करते हैं अतः वे हमारे वर्तमान कर्म को तो भली भाँति जानते ही हैं।
इस पृथ्वी लोक में 7 अरब मनुष्य हैं और भगवान सभी मनुष्यों के प्रत्येक क्षण के प्रत्येक संकल्प को नोट करते हैं। भविष्य में हमारा यह वर्तमान जीवन पूर्व जन्म कहलायेगा। भगवान अकेले ही सब पूर्व जन्मों का बहीखाता रखते हैं । यह पृथ्वीलोक चतुर्मुखी ब्रह्मा के ब्रह्मांड में है। माया के इस संसार में ऐसे अनंत ब्रह्मांड हैं । उन अनंत ब्रह्मांडों में अनंत जीवात्माएँ रहती हैं। भगवान उन अनंत जीवात्माओं के द्वारा वर्तमान व पूर्व जन्मों में किये गये सभी कर्मों को जानते हैं । तो इससे सिद्ध है की भगवान सब के भूतकाल से अवगत है ।
हमारे पूर्व जन्म के सभी कर्मों का फल केवल सर्वशक्तिमान भगवान ही निर्धारित करते हैं जिसका एक अंश प्रारब्ध के रूप में जीव को वर्तमान जन्म में भोगना होता है (1) । भगवान यह कार्य किसी और को कभी नहीं सौंपते। क्योंकि हमारे कर्मों के आधार पर भगवान ही हमारा प्रारब्ध निर्धारित करते हैं तो यह स्पष्ट है कि भगवान भविष्य के इस भाग को जानते हैं। ज्ञात रहे कि पूरे जीवन काल की अपेक्षा प्रारब्ध भोग का समय बहुत छोटा होता है। अब बाकी भविष्य की चर्चा करते हैं।
मनुष्य कर्म करने से पूर्व उसके बारे में संकल्प-विकल्प करता है। अधिकांश मानसिक क्रियाएँ इन्द्रियों के कर्म में परिणत नहीं होती हैं। उदाहरणार्थ यदि किसी ने हमें हानि पहुँचाई तो हमने कुपित हो उसे हानि पहुँचाने की योजना बनाई। परंतु दंड के डर से उसको क्रियात्मक रूप नहीं दिया । हम कर्म करने में स्वतंत्र हैं, साथ ही माया के प्रभाव के कारण हमारी चित्तवृत्ति दिन भर परिवर्तित होती रहती है। भगवान हमारे हृदय में बैठकर उन सभी मानसिक कर्मों को नोट करते हैं। इन कर्मों को जिन्हें हम अपने जीवन काल में स्वतंत्र इच्छा से करते हैं, उन्हें क्रियमाण कर्म कहते हैं। यद्यपि भगवान यह नहीं जानते की हमारे मन में अगले क्षण क्या विचार आएगा तथापि प्रतिपल के निर्णय को जानते हैं । ये निर्णय ही इन्द्रियों के द्वारा कर्म में परिणत होते हैं इसलिये कर्मेन्द्रियों व ज्ञानेन्द्रियों के कर्म से पूर्व भगवान जानते हैं हम क्या करेंगे।
अतः यह सत्य है कि भगवान हमारा भूत व वर्तमान जानते हैं एवं कुछ मात्रा में भविष्य को भी जानते हैं। हम कर्म करने के लिए स्वतंत्र एवं उनके फल भोगने के लिये बद्ध हैं। भगवान मायिक जीवों के द्वारा की जाने वाली क्रियाओं को संपादित नहीं करते।
पूरा जीवन पूर्व-निर्धारित नहीं होता है; भगवान ने जीव को कर्म करने की छूट दी हुई है अतः भगवान जीव के द्वारा प्रतिपादित की जाने वाली क्रियाओं में हस्तक्षेप नहीं करते। इस विषय को अधिक स्पष्ट करने के लिए हमें मंथन करना होगा।
जीव का मन केवल सुषुप्ति अवस्था में तथा अचेतावस्था में निष्क्रिय होता है। शेष प्रत्येक क्षण मन कर्म करता है। भगवान हमारे हृदय में सदैव रहकर हमारे प्रत्येक कर्म को नोट करते हैं अतः वे हमारे वर्तमान कर्म को तो भली भाँति जानते ही हैं।
इस पृथ्वी लोक में 7 अरब मनुष्य हैं और भगवान सभी मनुष्यों के प्रत्येक क्षण के प्रत्येक संकल्प को नोट करते हैं। भविष्य में हमारा यह वर्तमान जीवन पूर्व जन्म कहलायेगा। भगवान अकेले ही सब पूर्व जन्मों का बहीखाता रखते हैं । यह पृथ्वीलोक चतुर्मुखी ब्रह्मा के ब्रह्मांड में है। माया के इस संसार में ऐसे अनंत ब्रह्मांड हैं । उन अनंत ब्रह्मांडों में अनंत जीवात्माएँ रहती हैं। भगवान उन अनंत जीवात्माओं के द्वारा वर्तमान व पूर्व जन्मों में किये गये सभी कर्मों को जानते हैं । तो इससे सिद्ध है की भगवान सब के भूतकाल से अवगत है ।
हमारे पूर्व जन्म के सभी कर्मों का फल केवल सर्वशक्तिमान भगवान ही निर्धारित करते हैं जिसका एक अंश प्रारब्ध के रूप में जीव को वर्तमान जन्म में भोगना होता है (1) । भगवान यह कार्य किसी और को कभी नहीं सौंपते। क्योंकि हमारे कर्मों के आधार पर भगवान ही हमारा प्रारब्ध निर्धारित करते हैं तो यह स्पष्ट है कि भगवान भविष्य के इस भाग को जानते हैं। ज्ञात रहे कि पूरे जीवन काल की अपेक्षा प्रारब्ध भोग का समय बहुत छोटा होता है। अब बाकी भविष्य की चर्चा करते हैं।
मनुष्य कर्म करने से पूर्व उसके बारे में संकल्प-विकल्प करता है। अधिकांश मानसिक क्रियाएँ इन्द्रियों के कर्म में परिणत नहीं होती हैं। उदाहरणार्थ यदि किसी ने हमें हानि पहुँचाई तो हमने कुपित हो उसे हानि पहुँचाने की योजना बनाई। परंतु दंड के डर से उसको क्रियात्मक रूप नहीं दिया । हम कर्म करने में स्वतंत्र हैं, साथ ही माया के प्रभाव के कारण हमारी चित्तवृत्ति दिन भर परिवर्तित होती रहती है। भगवान हमारे हृदय में बैठकर उन सभी मानसिक कर्मों को नोट करते हैं। इन कर्मों को जिन्हें हम अपने जीवन काल में स्वतंत्र इच्छा से करते हैं, उन्हें क्रियमाण कर्म कहते हैं। यद्यपि भगवान यह नहीं जानते की हमारे मन में अगले क्षण क्या विचार आएगा तथापि प्रतिपल के निर्णय को जानते हैं । ये निर्णय ही इन्द्रियों के द्वारा कर्म में परिणत होते हैं इसलिये कर्मेन्द्रियों व ज्ञानेन्द्रियों के कर्म से पूर्व भगवान जानते हैं हम क्या करेंगे।
अतः यह सत्य है कि भगवान हमारा भूत व वर्तमान जानते हैं एवं कुछ मात्रा में भविष्य को भी जानते हैं। हम कर्म करने के लिए स्वतंत्र एवं उनके फल भोगने के लिये बद्ध हैं। भगवान मायिक जीवों के द्वारा की जाने वाली क्रियाओं को संपादित नहीं करते।
सुकृत या दुष्कृत गोविंद राधे । भाग्य हरि काल न कराता बता दे ॥ 1151
कर्म शक्ति मात्र दे गोविंद राधे । कर्मों में स्वतंत्र सब जीवों को बता दे ॥ 1153 - राधा गोविंद गीत
- जगद्गुरूत्तम स्वामी श्री कृपालु जी महाराज जीव द्वारा किए हुए अच्छे या बुरे कर्म का उत्तरदायी भाग्य, भगवान या परिस्थिति नहीं है। भगवान जीव को कर्म करने की शक्ति देते हैं। जीव उस शक्ति का प्रयोग कर अच्छे या बुरे कर्म करने में स्वतंत्र है।
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