SHRI KRIPALU KUNJ ASHRAM
  • Home
  • About
    • Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj
    • Braj Banchary Devi
    • What We Teach >
      • तत्त्वज्ञान​ >
        • Our Mission
    • Our Locations
    • Humanitarian Projects >
      • JKP Education
      • JKP Hospitals
      • JKP India Charitable Events
  • Our Philosophy
    • Search for Happiness >
      • आनंद की खोज
    • Who is a True Guru >
      • गुरु कौन है​
    • What is Bhakti
    • Radha Krishna - The Divine Couple
    • Recorded Lectures >
      • Shri Maharaj ji's Video Lectures
      • Audio Lecture Downloads
      • Didi ji's Video Lectures
      • Didi ji's Video Kirtans
    • Spiritual Terms
  • Practice
    • Sadhana - Daily Devotion
    • Roopadhyan - Devotional Remembrance
    • Importance of Kirtan
    • Kirtan Downloads
    • Religious Festivals (When, What, Why)
  • Publications
    • Divya Sandesh
    • Divya Ras Bindu
  • Shop
  • Donate
  • Events
  • Contact
  • Blog

गुरु कौन है​

यह समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि सच्चा गुरु कौन है। एक भक्त के जीवन में ऐसे दिव्य व्यक्तित्व की भूमिका का सभी वैदिक शास्त्रों में विस्तार से वर्णन किया गया है। तुलसीदास जी कहते हैं,
गुरु बिनु भवनिधि तरइ न कोई। जौं विरंचि संकर सम होई ।।
सो विनु संत न काहू पाई ।
इसका अर्थ है, "भले ही किसी व्यक्ति का ज्ञान निर्माता ब्रह्मा और भगवान शंकर के बराबर हो, वह आध्यात्मिक गुरु की कृपा के बिना माया के सागर को पार नहीं कर सकता।"
उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत । कठोपनिषद् १.३.१४

आचार्यवान् पुरुषो हि वेद । छान्दोग्योपनिषद्
ये वैदिक मंत्र उपदेश देते हैं: "सच्चे आध्यात्मिक गुरु की सहायता के बिना ईश्वर को जानना असंभव है।"
तद्विज्ञानार्थं स गुरुमेवाभिगच्छेत् समित्पाणि: श्रोत्रियं ब्रह्मनिष्ठम् । मुंडकोपनिषद् १.२.१२
एक सच्चा गुरु श्रोत्रियं है, जो सभी शास्त्रों के पूर्ण और सूक्ष्म ज्ञान से संपन्न हो और ब्रह्मनिष्ठम भी हो, भगवान का साक्षात्कार भी किया हो । भगवद गीता और भागवतम निम्नलिखित श्लोकों में इसकी पुष्टि करते हैं और उपदेश देते हैं कि आपको ऐसे गुरु का चयन करना चाहिए जो  1. भगवान का साक्षात्कार कर चुका हो और 2. वेदों-शास्त्रों के गहन अर्थ को जानता हो ।तभी  आपके संशय को समाप्त करने में सक्षम होगा । वही आपको ईश्वर का व्यावहारिक और सैद्धांतिक ज्ञान करा सकेगा ।
तस्माद् गुरुं प्रपद्येत जिज्ञासु: श्रेय उत्तमम् ।
शाब्दे परे च निष्णातं ब्रह्मण्युपशमाश्रयम् ॥
भागवत ११.३.२१

तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया ।
उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानं ज्ञानिनस्तत्त्वदर्शिन: ॥
भगवद् गीता ४.३४
"गुरु" शब्द का अर्थ है -
गुं रौतीति गुरु: ।
इसका अर्थ है, "जो अज्ञान के अंधकार को दूर करता है वह गुरु है।" इसी प्रकार की एक और परिभाषा है:
गिरति अज्ञानं इति गुरु: ।
अर्थात्, "जो अज्ञान को दूर भगाता है वह गुरु है।" महाप्रभु चैतन्य ने कहा,
जेइ कृष्ण तत्त्ववेत्ता, सेइ गुरु हय ।
इसका अर्थ है, "गुरु वह है जिसने ईश्वर को पा लिया हो।"

संक्षेप में, यदि कोई उपरोक्त गुणों से संपन्न सच्चे गुरु की शरण ग्रहण करता है तो बहुत जल्द वह साधक भगवान को पा लेता है और माया से मुक्ति भी पा लेता है । दु:ख पाओ और असीमित दिव्य सुख प्राप्त करो ।

नारद जी ने यही ज्ञान प्रह्लाद को मां के गर्भ में दिया था । "यद्यपि भगवान को पाने के अनेका मार्ग हैं, फिर भी सबसे अच्छा और आसान तरीका निःस्वार्थ सेवा और अपने गुरु की भक्ति है।"

गुरुशुश्रूषया भक्त्या सर्वलब्धार्पणेन च ।
संगेन साधुभक्तानामीश्वराराधनेन च ॥
भा. ७.७.३०
यही कारण है कि अदिति ने भगवान कृष्ण से कहा, "यदि यह सच है कि मेरे गुरु के प्रति मेरी भक्ति आपकी भक्ति से श्रेष्ठ है, तो कृपया इस सत्य के आधार पर मुझे अपना सुंदर दिव्य रूप दिखाएं।"
भक्तिर्यथा हरौ मेऽस्ति, तद्वरिष्ठा गुरौ यदि ।
ममास्ति तेन सत्येन, संदर्शयतु मे हरि: ॥
पद्म पुराण
इसी प्रकार, भागवतम कहती है,
प्रथमं सद्गुरुं वन्दे, श्रीकृष्णं तदनन्तरम् ।
गुरु: पापात्मनां त्राता, श्रीकृष्णस्त्वमलात्मनाम् ॥
"आइए हम पहले अपने गुरु की उपासना करें, और फिर भगवान कृष्ण को उपासना  करें।" ऐसा इसलिए है क्योंकि भगवान कृष्ण उनको अपनाते है जिनका अन्तःकरण शुद्ध हो चुका है, लेकिन यह गुरु ही हैं जो हम जैसी पतितों का उद्धार करते हैं।
आचार्यं मां विजानीयान्नावमन्येत कर्हिचित् ।
न मर्त्य बुद्ध्याऽ सूयेत सर्व देवमयो गुरु: ॥
भा. १.१७.२७
भगवान कृष्ण ने उद्धव को सच्चे धर्म का पालन करने का प्रामाणिक तरीका बताया, “उद्धव! सच्चा धर्मावलंबी वो है जो सब में मुझको देखे । उसे किसी भी कीमत पर गुरु का अपमान नहीं करना चाहिए और न ही गुरु को साधारण प्राणी समझना चाहिए। वह भगवान के सभी रूपों का साकार रूप है।

आप जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा "प्रेम रस सिद्धांत" में सत्य संत का पूरा विवरण पढ़ सकते हैं।

यदि आपको यह लेख लाभप्रद लगा तो संभवतः निम्नलिखित लेख भी लाभप्रद लगेगें
​जगदरूत्तम दिवस मनाने का तात्पर्य​
गुरु महात्म्य​
​संत या दंभी

यह लेख​ पसंद आया​ ?

उल्लिखित कतिपय अन्य प्रकाशनों के आस्वादन के लिये चित्रों पर क्लिक करें
Picture

दिव्य संदेश - सिद्धान्त, लीलादि

इन त्योहारों पर प्रकाशित होता है जगद्गुरुत्तम दिवस, होली, गुरु पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा
Picture

दिव्य रस बंदु - सिद्धांत गर्भित लघु लेख​

प्रति माह आपके मेलबो‍क्स में भेजा जायेगा​
Picture

 शब्दावली - सिद्धांत को गहराई से समझने हेतु पढ़े

वेद​-शास्त्रों के शब्दों का सही अर्थ जानिये
हम आपकी प्रतिक्रिया जानने के इच्छुक हैं । कृप्या contact us द्वारा
  • अपनी प्रतिक्रिया हमें email करें
  • आने वाले संस्करणों में उत्तर पाने के लिये प्रश्न भेजें
  • या फिर केवल पत्राचार हेतु ही लिखें

Subscribe to our e-list

* indicates required
नये संस्करण की सूचना प्राप्त करने हेतु subscribe करें 
Shri Kripalu Kunj Ashram
Shri Kripalu Kunj Ashram
2710 Ashford Trail Dr., Houston TX 77082
+1 (713) 376-4635

Lend Your Support
Social Media Icons made by Pixel perfect from www.flaticon.com"
Picture

Worldwide Headquarters

Affiliated Centers of JKP

Resources

  • Home
  • About
    • Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj
    • Braj Banchary Devi
    • What We Teach >
      • तत्त्वज्ञान​ >
        • Our Mission
    • Our Locations
    • Humanitarian Projects >
      • JKP Education
      • JKP Hospitals
      • JKP India Charitable Events
  • Our Philosophy
    • Search for Happiness >
      • आनंद की खोज
    • Who is a True Guru >
      • गुरु कौन है​
    • What is Bhakti
    • Radha Krishna - The Divine Couple
    • Recorded Lectures >
      • Shri Maharaj ji's Video Lectures
      • Audio Lecture Downloads
      • Didi ji's Video Lectures
      • Didi ji's Video Kirtans
    • Spiritual Terms
  • Practice
    • Sadhana - Daily Devotion
    • Roopadhyan - Devotional Remembrance
    • Importance of Kirtan
    • Kirtan Downloads
    • Religious Festivals (When, What, Why)
  • Publications
    • Divya Sandesh
    • Divya Ras Bindu
  • Shop
  • Donate
  • Events
  • Contact
  • Blog