माता-पिता के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करने के लिए, भारत और कई अन्य देशों में भी लोग मदर्स डे, फादर्स डे आदि मनाते हैं। सभी शास्त्रों में एक मत से माता के महत्व को दर्शाया गया है। शास्त्र विदित है कि पुत्र कुपूत और कृतघ्नी भले ही हो लेकिन माँ सदा उदार होती है और आजीवन जिन कार्यों में अपनी संतान का कल्याण मानती है उन कार्यों में व्यस्त रहती है। वह अपने बच्चे के लिए जो त्याग करती है वह शब्दों से परे है। वह अपने बच्चे को तरह तरह के स्वादिष्ट व्यंजन, सुंदर कपड़ों, सबसे मनोरंजक खिलौनों आदि से लाड़ करती है। फिर भी, कुछ अच्छाई सिखाते समय वह बहुत सख्त हो जाती है। कोई महत्वपूर्ण बात सिखाने की जब ज़रूरत होती है, वह मन को कठोर बना लेती है । और जब वह बच्चे में धीरे-धीरे बढ़ती हुई कुछ अनैतिक आदतों को सुधारने की आवश्यकता देखती है, तो वह अपने स्नेह और कोमल भावनाओं को छुपाती है। यहाँ तक कि अपने ही बच्चे को दंड भी देती है। इसलिए माँ को बच्चे का पहला 'गुरु' कहा जाता है। अपनी शारीरिक देख भाल करना माँ सिखाती है जैसे ढ़ंग से बात करना, पीना, खाना, बैठना, चलना, नहाना, कपड़े पहनना आदि। बच्चे का सत्चरित्र बनाने के लिए भी कई बातें माँ ही अपने बच्चे को सिखाती है। इसलिए, बच्चे को जीवन भर अपनी माँ का आभार मानना चाहिए । कई कृतघ्नी बच्चे उसके योगदान का अनादर करते हैं और यहाँ तक कि "यह तुम्हारा कर्तव्य था" जैसे शब्द भी अशिष्टता से कहते हैं। उन्होंने अपना कर्तव्य अवश्य निभाया, लेकिन उन कार्यों का आधार उनका प्यार व बच्चे का कल्याण था । नर्स और दाई भी अपने-अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं, लेकिन जब उन्हें एक दिन वेतन सहित छुट्टी दी जाए तो वे खुश होते हैं और अधिक दिनों की छुट्टी पाने की आशा करते हैं। लेकिन माँ अपने बच्चे को देखे बिना एक दिन भी नहीं रह सकती। वह अपने बच्चे के लिए सब कुछ स्वयं करने पर खुश होती है। एक अच्छी माँ सबसे अच्छी नर्स, सबसे अच्छी शिक्षक और एक सच्ची शुभचिंतक होती है, जो अपने बच्चे को उस रास्ते पर चलना सिखाती है, जो बच्चे को अनंत सुख की प्राप्ति की ओर ले जाए । इसलिए, वह सद्गुणों को विकसित करने की पूरी कोशिश करती है । मेरी वास्तविक माँ मेरी वास्तविक माँ मेरे पूज्य गुरु श्री महाराज जी (श्री कृपालु जी महाराज) हैं । क्योंकि मुझे उनमें सर्वश्रेष्ठ माँ के सभी गुण नज़र आते हैं।
इस प्रकार, वास्तविक माँ के सभी गुण उनमें स्वाभाविक रूप से पाए जाते हैं । उनके सभी प्यारे भक्तों की ओर से, मैं उनके चरण कमलों को उनके मातृ स्नेह के लिए बार-बार नमन करती हूँ। सद्गुरु के पादपद्मों की धूली का एक कण
ब्रज बनचरी
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