रक्षा बंधन |

रक्षा बंधन का पर्व 'श्रावण पूर्णिमा' के दिन मनाया जाता है, जो आम तौर पर हर साल अगस्त के महीने में आता है। सभी भारतीय त्योहारों का कोई न कोई आध्यात्मिक महत्व होता है।
'रक्षा-बंधन' का शाब्दिक अर्थ 'रक्षा का बंधन' है। प्रथा है कि इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी का धागा बाँधती है। और बदले में, भाई अपनी बहन से वादा करता हैं कि वह सभी बुरी बलाओं से उसकी रक्षा करेगा। इस प्रकार यह शुभ दिन भाई और एक बहन के बीच एक अनोखे बंधन का प्रतीक है।
प्राचीन काल में साधु-संत अपने अनुयायियों की अशुभ घटनाओं से रक्षा करने के लिए उनके कलाई पर मंत्रों की शक्ति से युक्त एक पवित्र धागा बाँधते थे। अपनी आध्यात्मिक शक्ति के कारण उनमें ऐसे करने की क्षमता थी।
जब से अत्यंत सुंदर राजपूत रानी कर्णावती ने मुगल राजा हुमायूँ को अपने पति की रक्षा करने की याचना के साथ राखी भेजी, तब से यह त्योहार भाइयों और बहनों के त्योहार के रूप में प्रचलित है।
श्री महाराज जी ने एक दोहा लिखा है-
'रक्षा-बंधन' का शाब्दिक अर्थ 'रक्षा का बंधन' है। प्रथा है कि इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी का धागा बाँधती है। और बदले में, भाई अपनी बहन से वादा करता हैं कि वह सभी बुरी बलाओं से उसकी रक्षा करेगा। इस प्रकार यह शुभ दिन भाई और एक बहन के बीच एक अनोखे बंधन का प्रतीक है।
प्राचीन काल में साधु-संत अपने अनुयायियों की अशुभ घटनाओं से रक्षा करने के लिए उनके कलाई पर मंत्रों की शक्ति से युक्त एक पवित्र धागा बाँधते थे। अपनी आध्यात्मिक शक्ति के कारण उनमें ऐसे करने की क्षमता थी।
जब से अत्यंत सुंदर राजपूत रानी कर्णावती ने मुगल राजा हुमायूँ को अपने पति की रक्षा करने की याचना के साथ राखी भेजी, तब से यह त्योहार भाइयों और बहनों के त्योहार के रूप में प्रचलित है।
श्री महाराज जी ने एक दोहा लिखा है-
रक्षा करे हरी गुरू,गोविंद राधे,
मायाधीन भइया रक्षा करे ना बता दे ।
मायाधीन भइया रक्षा करे ना बता दे ।
"केवल भगवान् और गुरु (संत) ही हर समय रक्षा करने में सक्षम हैं। मायिक भाई हर समय सभी बुरी बलाओं से सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकता।"
हरि सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी हैं, इसलिए वे वास्तव में हर समय सभी परिस्थितियों में रक्षा कर सकते हैं। गुरु भी सर्वशक्तिमान हैं और वे जहाँ चाहें वहाँ पहुँच सकते हैं।
मनुष्य स्वयं असमर्थ है अतःअपनी रक्षा में ही असमर्थ है, साथ ही वह हर जगह तुरंत नहीं पहुँच सकता। तो मायिक जीव से किसी और की रक्षा करने की आशा करना नितांत भोलापन है ।
इसलिये आज का दिन हरि गुरू से रक्षा करने की याचना करने का दिन है ।
हरि सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी हैं, इसलिए वे वास्तव में हर समय सभी परिस्थितियों में रक्षा कर सकते हैं। गुरु भी सर्वशक्तिमान हैं और वे जहाँ चाहें वहाँ पहुँच सकते हैं।
मनुष्य स्वयं असमर्थ है अतःअपनी रक्षा में ही असमर्थ है, साथ ही वह हर जगह तुरंत नहीं पहुँच सकता। तो मायिक जीव से किसी और की रक्षा करने की आशा करना नितांत भोलापन है ।
इसलिये आज का दिन हरि गुरू से रक्षा करने की याचना करने का दिन है ।
यह लेख पसंद आया ?
उल्लिखित कतिपय अन्य प्रकाशनों के आस्वादन के लिये चित्रों पर क्लिक करें
दिव्य संदेश - सिद्धान्त, लीलादि |
दिव्य रस बंदु - सिद्धांत गर्भित लघु लेखप्रति माह आपके मेलबोक्स में भेजा जायेगा
|
शब्दावली - सिद्धांत को गहराई से समझने हेतु पढ़ेवेद-शास्त्रों के शब्दों का सही अर्थ जानिये
|
हम आपकी प्रतिक्रिया जानने के इच्छुक हैं । कृप्या contact us द्वारा
|
नये संस्करण की सूचना प्राप्त करने हेतु subscribe करें
|