कार्णार्णव
महाप्रलय के सन्दर्भ में आपने सुना होगा कि जीव कर्णार्णव में लीन रहता है ।
कदाचित् आप सोच रहे होंगे कि कर्णार्णव क्या है? तो चलिये इस पर संक्षिप्त प्रकाश डाला जाय ।
भगवान् के सभी स्वरूपों का धाम होता है। जैसे गोलोक श्री राधा-कृष्ण का धाम है, साकेत श्री राम का धाम है, वैकुंठ महाविष्णु का धाम है, ठीक उसी तरह शिव लोक, शक्ति लोक और भगवान् के प्रत्येक स्वरूप का धाम है। यह दिव्य क्षेत्र परव्योम के नाम से जाना जाता है । इसमें गोलोक धाम सबसे ऊँचाई पर स्थित है और सबसे बड़ा है । गोलोक के नीचे बैकुंठ धाम है और भगवान् के अन्य अवतारों के लोक हैं ।
माया का आधिपत्य परव्योम में नहीं है । वहाँ की धरती, वायु, आकाश इत्यादि सब श्री कृष्ण ही बनते हैं ।
माया के जगत को परव्योम से पृथक करने वाली विराजा नदी है । इसी को कर्णार्णव, भगवान् का महोदर (बड़ा भारी पेट) तथा ब्रह्मद्रव्य भी कहते हैं ।
बिरजा नदी का जल दिव्य है । भौतिक जल नहीं है। सभी मुक्त ज्ञानी इसी जल में सदा लीन रहते हैं। और महाप्रलय में सभी मायाबद्ध जीव भी इसी कर्णार्णव में डूबे रहते हैं।
कदाचित् आप सोच रहे होंगे कि कर्णार्णव क्या है? तो चलिये इस पर संक्षिप्त प्रकाश डाला जाय ।
भगवान् के सभी स्वरूपों का धाम होता है। जैसे गोलोक श्री राधा-कृष्ण का धाम है, साकेत श्री राम का धाम है, वैकुंठ महाविष्णु का धाम है, ठीक उसी तरह शिव लोक, शक्ति लोक और भगवान् के प्रत्येक स्वरूप का धाम है। यह दिव्य क्षेत्र परव्योम के नाम से जाना जाता है । इसमें गोलोक धाम सबसे ऊँचाई पर स्थित है और सबसे बड़ा है । गोलोक के नीचे बैकुंठ धाम है और भगवान् के अन्य अवतारों के लोक हैं ।
माया का आधिपत्य परव्योम में नहीं है । वहाँ की धरती, वायु, आकाश इत्यादि सब श्री कृष्ण ही बनते हैं ।
माया के जगत को परव्योम से पृथक करने वाली विराजा नदी है । इसी को कर्णार्णव, भगवान् का महोदर (बड़ा भारी पेट) तथा ब्रह्मद्रव्य भी कहते हैं ।
बिरजा नदी का जल दिव्य है । भौतिक जल नहीं है। सभी मुक्त ज्ञानी इसी जल में सदा लीन रहते हैं। और महाप्रलय में सभी मायाबद्ध जीव भी इसी कर्णार्णव में डूबे रहते हैं।
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