Glorification of Shri Krishna by Shankaracharya - शंकराचार्य द्वारा श्री कृष्ण स्तुति
यमुना निकट तटस्थित वृंदावन कानने महारम्ये । कल्पद्रुमतलभूमौ चरणं चरणोपरिस्थाप्य ॥
yamunā nikaṭa taṭasthita vṛṃdāvana kānane mahāramye । kalpadrumatalabhūmau caraṇaṃ caraṇoparisthāpya ॥
यमुना जी के तट पर वृंदावन की किसी अति मनोहर वाटिका में कल्पवृक्ष के नीचे की भूमि पर चरण पर चरण रखें श्री कृष्ण बैठे हैं ।
In a relaxed pose, one leg crossed over the other, Krishna is sitting under a celestial tree, kalp vriksha, in a most beautiful grove of Vrindavan near the river Yamuna.
तिष्ठंतं घननीलं स्वतेजसा भासयन्तमिह विश्वम् । पीताम्बरपरिधानं चन्दनकर्पूरलिप्तसर्वांगम् ॥
tiṣṭhaṃtaṃ ghananīlaṃ svatejasā bhāsayantamiha viśvam । pītāmbaraparidhānaṃ candanakarpūraliptasarvāṃgam ॥
जो नवीन बादलों के सदृर्श श्याम वर्ण के हैं, पीतांबर पहने हुए हैं एवं सारे शरीर में कर कपूर से मिश्रित चंदन का लेप किए हुए हैं।
He's dressed in saffron yellow. His body, which has the hue of a young rain-laden cloud, is glorifying the universe with its Divine glow. It is smeared with a thin paste of sandalwood with a very mild touch of camphor.
आकर्णपूर्णनेत्रं कुण्डलयुगमंडितश्रवणम् । मंदस्मितमुखकमलं सकौस्तुभौदारमणिहारम् ॥
ākarṇapūrṇanetraṃ kuṇḍalayugamaṃḍitaśravaṇam । maṃdasmitamukhakamalaṃ sakaustubhaudāramaṇihāram ॥
जिनके कर्ण पर्यन्त बड़े-बड़े नेत्र हैं, कान में सुंदर कुण्डल सुशोभित हैं, मुखारविंद मंद मंद मुस्कुरा रहा है । जिनके वक्षःस्थल पर कौस्तुभ मणि युक्त सुंदर मालाएँ सुशोभित हो रही हैं ।
His blue Lotus eyes are charming and He is wearing beautiful earrings in His ears. His loving Lotus has a gentle soul-enticing smile. His chest is adorned with the change of glittering precious stones and a necklace that has kaustubh jewel.
वलयांगुलीयकाद्यानुज्वलयन्तमं स्वलंकारान् । गलविलुलितवनमालं स्वतेजसापास्तकलिकालम् ॥
valayāṃgulīyakādyānujvalayantamaṃ svalaṃkārān । galavilulitavanamālaṃ svatejasāpāstakalikālam ॥
जो अपनी कान्ति को दूनी कर रहे हैं, जिनके गले में वनमाला लटक रही है, जिन्होंने अपने तेज के प्रभाव से कलिकाल को नष्ट कर दिया है
The radiance of His body is multiplying the beauty of the ornaments and the rings of His fingers. The banmala, a flower garland made of 5 types of flowers, is adorning His neck and He has suspended the effect of kaliyug by His glory.
गुंजारवालिकलितं गुंजापुंजान्विते शिरसी । भुंजानं सह गोपैः कुंजांतवर्तिनं नमत ॥
guṃjāravālikalitaṃ guṃjāpuṃjānvite śirasī । bhuṃjānaṃ saha gopaiḥ kuṃjāṃtavartinaṃ namata ॥
जिनका गुंजावलि अलंकृत मस्तक गूँजते हुए भौंरों से शोभायमान हो रहा है। किसी कुंज के भीतर बैठकर ग्वाल बालों के साथ भोजन करते हुए उन श्रीकृष्ण का स्मरण करो,
The exciting perfume of the falling locks of the curly hair that are glorifying His forehead are attracting the bumblebees, which are buzzing happily, and in a kunj, He is sitting and sharing food with His playmates. Remember such a loving Krishna.
मन्दारपुष्पवासितमंदानिल सेवित परमानन्दम् । मन्दाकिनीयुतपदं नमत महानन्ददं महापुरुषं॥
mandārapuṣpavāsitamaṃdānila sevita paramānandam । mandākinīyutapadaṃ namata mahānandadaṃ mahāpuruṣaṃ॥
जो कल्पवृक्ष के फूलों की सुगंध से युक्त मंद मंद वायु से सेवित हैं, जो स्वयं परमानंद स्वरूप हैं, जिनके चरणों में भगवती भागीरथी विराजमान हैं।
The supreme personality of Krishna is absolute bliss. Goddess Ganga resides in His feet, and His body is being caressed with the gentle breeze which is perfumed wit the fragrance of flowers.
सुरभीकृतदिग्वलयं सुरभिशतैरावतः परितः । सुरभीतिक्षपणमहासुरभीमं यादवं नमत ॥
surabhīkatadigvalayaṃ surabhiśatairāvataḥ paritaḥ । surabhītikṣapaṇamahāsurabhīmaṃ yādavaṃ namata ॥
उन परमानंद दायक श्रीकृष्ण का स्मरण करो, जिन्होंने समस्त दिशाओं को सुगंधित कर रखा है, जो सैकड़ों कामधेनु से भी सुंदर गायों से घिरे हुए हैं। जो देवताओं के भय को दूर करने वाले एवं भयानक राक्षसों को भी भयभीत करने वाले हैं, उन यदुनंदन का स्मरण करो।
Adore and worship Yadunandan (one who descended in Yadu family) Krishna, Whose divine fragrance of the body us radiating divine love in all the directions. Who is surrounded by hundreds of kam dhenu (celestial cows), Whose presence has scared even the greatest demons and has cheered up all the gods and goddesses. All salutations to such a Yadav!
yamunā nikaṭa taṭasthita vṛṃdāvana kānane mahāramye । kalpadrumatalabhūmau caraṇaṃ caraṇoparisthāpya ॥
यमुना जी के तट पर वृंदावन की किसी अति मनोहर वाटिका में कल्पवृक्ष के नीचे की भूमि पर चरण पर चरण रखें श्री कृष्ण बैठे हैं ।
In a relaxed pose, one leg crossed over the other, Krishna is sitting under a celestial tree, kalp vriksha, in a most beautiful grove of Vrindavan near the river Yamuna.
तिष्ठंतं घननीलं स्वतेजसा भासयन्तमिह विश्वम् । पीताम्बरपरिधानं चन्दनकर्पूरलिप्तसर्वांगम् ॥
tiṣṭhaṃtaṃ ghananīlaṃ svatejasā bhāsayantamiha viśvam । pītāmbaraparidhānaṃ candanakarpūraliptasarvāṃgam ॥
जो नवीन बादलों के सदृर्श श्याम वर्ण के हैं, पीतांबर पहने हुए हैं एवं सारे शरीर में कर कपूर से मिश्रित चंदन का लेप किए हुए हैं।
He's dressed in saffron yellow. His body, which has the hue of a young rain-laden cloud, is glorifying the universe with its Divine glow. It is smeared with a thin paste of sandalwood with a very mild touch of camphor.
आकर्णपूर्णनेत्रं कुण्डलयुगमंडितश्रवणम् । मंदस्मितमुखकमलं सकौस्तुभौदारमणिहारम् ॥
ākarṇapūrṇanetraṃ kuṇḍalayugamaṃḍitaśravaṇam । maṃdasmitamukhakamalaṃ sakaustubhaudāramaṇihāram ॥
जिनके कर्ण पर्यन्त बड़े-बड़े नेत्र हैं, कान में सुंदर कुण्डल सुशोभित हैं, मुखारविंद मंद मंद मुस्कुरा रहा है । जिनके वक्षःस्थल पर कौस्तुभ मणि युक्त सुंदर मालाएँ सुशोभित हो रही हैं ।
His blue Lotus eyes are charming and He is wearing beautiful earrings in His ears. His loving Lotus has a gentle soul-enticing smile. His chest is adorned with the change of glittering precious stones and a necklace that has kaustubh jewel.
वलयांगुलीयकाद्यानुज्वलयन्तमं स्वलंकारान् । गलविलुलितवनमालं स्वतेजसापास्तकलिकालम् ॥
valayāṃgulīyakādyānujvalayantamaṃ svalaṃkārān । galavilulitavanamālaṃ svatejasāpāstakalikālam ॥
जो अपनी कान्ति को दूनी कर रहे हैं, जिनके गले में वनमाला लटक रही है, जिन्होंने अपने तेज के प्रभाव से कलिकाल को नष्ट कर दिया है
The radiance of His body is multiplying the beauty of the ornaments and the rings of His fingers. The banmala, a flower garland made of 5 types of flowers, is adorning His neck and He has suspended the effect of kaliyug by His glory.
गुंजारवालिकलितं गुंजापुंजान्विते शिरसी । भुंजानं सह गोपैः कुंजांतवर्तिनं नमत ॥
guṃjāravālikalitaṃ guṃjāpuṃjānvite śirasī । bhuṃjānaṃ saha gopaiḥ kuṃjāṃtavartinaṃ namata ॥
जिनका गुंजावलि अलंकृत मस्तक गूँजते हुए भौंरों से शोभायमान हो रहा है। किसी कुंज के भीतर बैठकर ग्वाल बालों के साथ भोजन करते हुए उन श्रीकृष्ण का स्मरण करो,
The exciting perfume of the falling locks of the curly hair that are glorifying His forehead are attracting the bumblebees, which are buzzing happily, and in a kunj, He is sitting and sharing food with His playmates. Remember such a loving Krishna.
मन्दारपुष्पवासितमंदानिल सेवित परमानन्दम् । मन्दाकिनीयुतपदं नमत महानन्ददं महापुरुषं॥
mandārapuṣpavāsitamaṃdānila sevita paramānandam । mandākinīyutapadaṃ namata mahānandadaṃ mahāpuruṣaṃ॥
जो कल्पवृक्ष के फूलों की सुगंध से युक्त मंद मंद वायु से सेवित हैं, जो स्वयं परमानंद स्वरूप हैं, जिनके चरणों में भगवती भागीरथी विराजमान हैं।
The supreme personality of Krishna is absolute bliss. Goddess Ganga resides in His feet, and His body is being caressed with the gentle breeze which is perfumed wit the fragrance of flowers.
सुरभीकृतदिग्वलयं सुरभिशतैरावतः परितः । सुरभीतिक्षपणमहासुरभीमं यादवं नमत ॥
surabhīkatadigvalayaṃ surabhiśatairāvataḥ paritaḥ । surabhītikṣapaṇamahāsurabhīmaṃ yādavaṃ namata ॥
उन परमानंद दायक श्रीकृष्ण का स्मरण करो, जिन्होंने समस्त दिशाओं को सुगंधित कर रखा है, जो सैकड़ों कामधेनु से भी सुंदर गायों से घिरे हुए हैं। जो देवताओं के भय को दूर करने वाले एवं भयानक राक्षसों को भी भयभीत करने वाले हैं, उन यदुनंदन का स्मरण करो।
Adore and worship Yadunandan (one who descended in Yadu family) Krishna, Whose divine fragrance of the body us radiating divine love in all the directions. Who is surrounded by hundreds of kam dhenu (celestial cows), Whose presence has scared even the greatest demons and has cheered up all the gods and goddesses. All salutations to such a Yadav!