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मन रूपी बंदर को कैसे नियंत्रित करें

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मन कर्ता है। मन से किए गए कार्य तथा इन्द्रियों सहित​ मन से किए गए कार्यों को कर्म​ माना जाता है। भगवद् क्षेत्र में केवल मन की आसक्ति रहित मात्र​ इन्द्रियों द्वारा किए गए कार्यों को कर्म नहीं माना जाता है। लेकिन स्वभावतः मन चंचल, निरंकुश है और विचार-विनिमय करता है। मन की चंचलता की तुलना बंदर से की जा सकती है। इसलिए मन को नियंत्रित करना अत्यंत कठिन है।

गीता 6.34 में अर्जुन ने यही प्रश्न किया था जिसका उत्तर स्वयं भगवान कृष्ण ने उत्तर दिया​ ​था
असंशयम् महाबाहो..गीता 6.35
PictureCourtsey: Usplash In the wild monkey jumps from tree to tree all day long.
"हाँ अर्जुन, मन अत्यंत चंचल है और इसे नियंत्रित करना बहुत कठिन है, फिर भी यह असंभव नहीं है। ईश्वर का स्मरण करने और संसार की कामनाओं का त्याग करने के निरंतर अभ्यास से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।"

श्री महाराज जी ने इस विषय पर अधिक प्रकाश डाला और हमारे मन को आसानी से नियंत्रित करने के लिए चरण-दर-चरण प्रक्रिया को समझाया।

स्वभावतः बंदर चंचल स्वभाव का होता है और स्थिर नहीं रह सकता। यह दिन भर एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर कूदता रहता है। बंदर की चंचलता पर अंकुश लगाने के लिए नट सबसे पहले बंदर के गले में 100 फीट की रस्सी बांध देता है। अपने पूर्वाभ्यास के अनुसार जब बंदर 100 फीट से अधिक दूर जाना चाहता है तो बंदर की गले की रस्सी खींचती है जिससे उसकी गर्दन में दर्द होता है। कई बार प्रयास करने के उपरांत जब बंदर दूर नहीं जा पाता तो समझ लेता है कि इसी 100 फुट के दायरे में ही घूमना होगा। उस समय नट उसकी रस्सी 50 फुट की कर देता है। जब अंदर 50 फुट से दूर जाना चाहता है तो फिर गली गले की रस्सी खींचती है। फिर बंदर 50 फुट में ही कूदने लगता है इसी प्रकार कम करते-करते जब  रस्सी 1 फुट की हो जाती है तो बंदर शांत होकर बैठ जाता है

A trained monkey
लाचार होकर बंदर अपने आप को नियंत्रित करता है और 1 फुट के भीतर रह जाता है। इसके बाद नट उसे तरह-तरह के गुर सिखाने लगता है। आपने जानवरों के शो देखे होंगे जहां बंदर निर्देशों का पालन करते हैं और प्रशिक्षक का पालन करते हैं।

इसी तरह हमारा मन भी बहुत चंचल और निरंकुश होता है। यह दुनिया भर में स्वच्छंद विहार करता है । साधना भक्ति के आरंभ में जब जीव श्री राधा कृष्ण का रूप ध्यान करने का अभ्यास प्रारंभ करता है तो मन अपने पूर्वाभ्यास के कारण यहाँ वहाँ भागता रहता है। ऐसी स्थिति में मन पर क्रोध करने से मन और विक्षिप्त होगा । हम से पूर्व अनंत संतो ने अपने बंदर रूपी मन को काबू में किया है जिससे साबित होता है कि मन पर कंट्रोल किया जा सकता है। जगद्गुरुतम स्वामी श्री कृपालु जी महाराज ने कृपा करके इस हठीले मन पर काबू करने का एक अचूक उपाय बताया है ।

Whereever your mind wanders off to, visualize your Beloved Shyam Sundar standing right thereWhere ever your mind wanders off to, visualize your Beloved Shyam Sundar standing right there.
मन पर अंकुश लगाने के बजाय, इसे जहाँ जाना पसंद है वहाँ जाने दें । मन जहाँ भी जाए वहाँ अपने प्रियतम श्यामसुंदर को खड़ा कर दीजिए ।  यह मात्र कल्पना नहीं है क्योंकि श्री कृष्ण संपूर्ण जगत के कण-कण में व्याप्त हैं। उनकी उपस्थिति को फील​  करना है उदाहरण के लिए, यदि आपका मन ताजमहल को देखना चाहता है तो उसे वहाँ जाने दें। इसे रोकने की कोशिश मत करो। सुंदर ताजमहल देखें और फिर उसके ऊपर खड़े अपने दिव्य प्रिय श्याम सुंदर को देखें । इस प्रकार के निरंतर अभ्यास से मन धीरे-धीरे इधर-उधर भटकने के श्रम को त्यागने के लिए विवश हो जाएगा और अंततः वह ईश्वर के दिव्य रूप का ध्यान करना शुरू कर देगा।
इसके अलावा, आपके गुरु के रूप में भगवद् प्राप्त​ संत का होना अनिवार्य है। उनके प्रवचनों को भक्तिपूर्वक सुनना चाहिए, और भगवान​ के बारे में अधिक जानने के लिए, हमारे मानव जीवन के उद्देश्य और भगवान​ को प्राप्त करने के अपने लक्ष्य को कैसे प्राप्त किया जाए, इसके बारे में निष्पक्ष होकर एकांत में उनके दर्शन पर विचार करना चाहिए।

एक सच्चे संत द्वारा दिए गए ज्ञान के साथ यह अभ्यास हमारे सभी संदेहों और भ्रमों को दूर कर देगा। तब हम अपने इच्छित लक्ष्य की ओर तेजी से प्रगति करेंगे।​

Shri Kripalu Kunj Ashram
Shri Kripalu Kunj Ashram
2710 Ashford Trail Dr., Houston TX 77082
+1 (713) 376-4635

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