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Leelas of Shri Maharaj Ji
जब भी बनचरी दीदी ने श्री महाराज जी की लीलाओं को बताया, लीला के चित्र जीवंत हो उठते थे । श्रोताओं को ऐसा लगता था जैसे वे वहीं थे जब ये लीलाएँ हो रही थीं।
बार-बार लोगों ने दीदी को श्री महाराज जी पर ही बोलने का आग्रह किया । उन्होंने "कृपालु सुधा रस" की रचना की, जो भक्ति के सरसतम रस से ओतप्रोत है।
महाराज जी की लीलाओं का यह अंतिम संग्रह है । 5 घंटे की लीलाएँ कुछ हिंदी और कुछ अंग्रेजी में हैं ।
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बनचरी दीदी जी के बारे में अधिक जानकारी -
श्री महाराज जी के परम अंतरंग भक्त परिवार में जन्मीं, उन्हें बचपन से ही गुरु के प्रति अनन्य भक्ति, निस्वार्थ और निरंतर भक्ति, अष्टयामी सेवा और समर्पण का आध्यात्मिक आहार दिया जाता था। वह सीधे श्री महाराज जी की देखभाल और मार्गदर्शन में बड़ी हुईं।
वह अपनी जेब में 5 रुपये लेकर अमेरिका पहुंचीं। वह अंग्रेजी नहीं जानती थी और अनजान देश में जान-पहचान का कोई भी नहीं था। जब दीदी को कैंसर हुआ, तब भी उन्होंने तत्त्वज्ञान से साधकों का मार्गदर्शन करना बंद किया। दिल का दौरा पड़ने और दो स्टेंट लगने के तीन सप्ताह बाद, उन्होंने भक्ति शिविर (साधना शिविर) आयोजित किया । सभी विपरीत परिस्थितियों में भी, जब भी किसी ने उनसे पूछा कि "दीदी आप ये कैसे करेंगी", तो उनका एक ही जवाब होता था "महाराज जी करवा लेंगे" । वे शरणागत आत्मा थी और महाराज जी से प्रेम करती थीं । उनकी सभी स्मृतियों में श्री महाराज जी समाए थे।
हम कामना करते हैं कि हमें भी गुरु के वचनों पर उतना ही दृढ़ विश्वास हो और गुरु सेवा करने में उतनी ही आतुरता हो, जिससे श्री महाराज जी रीझ जाएँ । शास्त्र के अनुसार हम जहाँ अपना तन, मन और धन लगाते हैं उसीका लाभ हमें मिलता है। दुर्लभ लीलाओं का पान करने हेतु लिंक पर क्लिक करें ।
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Preview
https://www.youtube.com/playlist?list=PL02E55A378131B7C3
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Whenever Banchary Didi told Shri Maharaj Ji's leelas, vivid pictures of the leela came alive. Listeners felt like they were there when these leelas were being performed.
We all loved hearing about Shri Maharaj Ji from Banchary Didi Ji. She authored 'Kripalu Sudha Ras', which is pure devotional bliss.
This is the last collection of her casual talks about Maharaj Ji. They are partly in Hindi and partly in English, and approximately 5 hours.
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More about Banchary Didi Ji -
Born to parents who were completely surrendered to Shri Maharaj Ji, she was fed the spiritual diet of exclusive devotion to Guru, selfless and continuous devotion, ashtayami seva and surrender from the time she was a toddler. She grew up directly under the care and guidance of Shri Maharaj Ji.
She landed in the US with 5 rupees in her pocket. She did not know English and had no contacts in the unknown land. Even when she had cancer, she did not stop guiding the aspirants with Tattva Gyan. Three weeks after a heart attack and 2 stents, she held a devotional retreat (sadhana shivir). Through all her ordeals, whenever anyone asked her how she will make it happen, she had only one answer "Maharaj Ji karwa lenge" (Shri Maharaj Ji will make it happen). She was a surrendered soul and loved Maharaj Ji. All of her memories had Shri Maharaj Ji in them.
We wish we too can have the firm faith in Guru's words and are as sincere in doing Guru Seva, so Shri Maharaj Ji's would be pleased with us.
According to the science of donation, we receive the benefit of where we invest our body, mind and wealth. Know more about a divine personality. This is a rare opportunity. Go forth and seize it.